कोरोना महामारी के बाद से भारतीयों का पुराना खानपान यानी मोटा अनाज एक बार फिर थाली में लौटने लगा है। मोटा अनाज इम्यूनिटी बूस्टर तत्वों से भरपूर होता है।

कोरोना महामारी के बाद से भारतीयों का पुराना खानपान यानी मोटा अनाज एक बार फिर थाली में लौटने लगा है। मोटा अनाज इम्यूनिटी बूस्टर तत्वों से भरपूर होता है।

ज्वार, बाजरा, रागी, मक्का, जौ, कोदो, सामा, बाजरा, सांवा, लघु धान्य या कुटकी, कांगनी और चीना जैसे अनाज मिलेट्स यानी मोटा अनाज होते हैं। इनके सेवन से हमारी सेहत को कई तरह के फायदे होते हैं।

स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार मोटा अनाज और इसकी कृषि को प्रोत्साहन देने के लिए प्रयासरत है।

पोषण से भरपूर मोटा अनाज कुपोषण की समस्या से निपटने के लिए कारगर कदम है। इसके सामान्य चलन से इससे ना केवल किसानों को लाभ मिलेगा बल्कि जन सामान्य का स्वास्थ्य भी बेहतर हो सकेगा।

मोटा अनाज की खेती के लिए रासायनिक खाद की भी जरूरत नहीं होती। यह पर्यावरण के लिए भी उपयोगी है, और इसे करीब 10 साल तक संरक्षित कर रखा जा सकता है।

मोटा अनाज की खेती के लिए रासायनिक खाद की भी जरूरत नहीं होती। यह पर्यावरण के लिए भी उपयोगी है, और इसे करीब 10 साल तक संरक्षित कर रखा जा सकता है।

हालांकि मोटा अनाज का आटा तैयार करने में थोड़ी मेहनत ज्यादा लगती है, लेकिन यह सेहत के लिए भी फिर उतना ही फायदेमंद हैं। पुराने जमाने में लोग तीन चार मोटे अनाज को मिलाकर रोटियां बनाते थे।

हालांकि मोटा अनाज का आटा तैयार करने में थोड़ी मेहनत ज्यादा लगती है, लेकिन यह सेहत के लिए भी फिर उतना ही फायदेमंद हैं। पुराने जमाने में लोग तीन चार मोटे अनाज को मिलाकर रोटियां बनाते थे।

रासायनिक खाद व केमिकल के बिना जैविक खाद से उपजा मोटा अनाज शरीर में रोगप्रतिरोधक क्षमता पैदा करता है।

रासायनिक खाद व केमिकल के बिना जैविक खाद से उपजा मोटा अनाज शरीर में रोगप्रतिरोधक क्षमता पैदा करता है।

सर्दी के मौसम में घर में बाजरा, जौ व चना मिलाकर आटा तैयार कर रोटियां बनाई जा सकती हैं। मोटे अनाज से बनी रोटियां मख्खन व देशी घी के साथ स्वादिष्ट लगती हैं।

बुजुर्गो का कहना है कि मोटे अनाज की रोटियों में देशी घी के साथ सर्दी में गुड़ मिलाकर खाया जाए तो शरीर को गर्मी का एहसास होता है और ताकत व स्फूर्ती मिलती है।

PHOTO : NCG NEWS

मोटे अनाज में फाइबर भरपूर मात्रा में मिलता है। इससे शरीर में कब्ज, गैस व मोटापे से छुटकारा मिलता है। मन भी प्रसन्नचित्त रहता है।

मोटे अनाज में फाइबर भरपूर मात्रा में मिलता है। इससे शरीर में कब्ज, गैस व मोटापे से छुटकारा मिलता है। मन भी प्रसन्नचित्त रहता है।

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भारत में 60 के दशक से पहले मोटा अनाज ही अधिक खाया जाता था। 60 के दशक में हरित क्रांति ने गेंहू की मांग बढ़ा दी और धीरे- धीरे मोटा अनाज थाली से दूर हो गया।

भारत में 60 के दशक से पहले मोटा अनाज ही अधिक खाया जाता था। 60 के दशक में हरित क्रांति ने गेंहू की मांग बढ़ा दी और धीरे- धीरे मोटा अनाज थाली से दूर हो गया।

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