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भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और जयपुर ग्रामीण सांसद कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ ने राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द किए जाने को लेकर टिप्पणी की। उन्होंने कहा जो सजा राहुल गांधी को सुनाई गई वो उनके कर्मों का फल है। इनके ये कर्म तब से शुरू हो गए थे जब यूपीए सरकार के समय प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान प्रधानमंत्री के आदेश फाड़े गए थे।
चांदी की चम्मच लेकर जन्में राहुल गांधी अपने आप को ही सबसे बड़ा मानते हैं। राहुल गांधी न प्रधानमंत्री पद का सम्मान करते हैं, न देश और सेना का और न ही देशवासियों का। देश के खिलाफ, संविधान के खिलाफ, संवैधानिक संस्थाओं के खिलाफ, न्यायपालिका के खिलाफ जनादेश के खिलाफ और पिछड़े-दलित समुदाय के खिलाफ बात करना उनकी आदत बन गई है। यह कांग्रेस पार्टी और विशेष रूप से गांधी परिवार की कुरीति है और इस कुरीति छोड़ना भी नहीं चाहते।पहले भी हो चुके हैं ऐसे मामलेकर्नल राज्यवर्धन ने कहा नेहरू गांधी परिवार के राहुल गांधी पहले व्यक्ति नहीं हैं, जिन्हें कोर्ट ने कदाचार, मानहानि के लिए सजा दी है। इससे पहले इनकी दादी इंदिरा को भी ट्रायल कोर्ट ने सजा दी थी। कोर्ट ने रायबरेली से इनकी सदस्यता भी रद्द कर दी थी। फिर चिकमंगलूर से उपचुनाव लड़ीं तो पद के दुरुपयोग के कारण इनकी सदस्यता रद्द हुई। इनकी माता सोनिया जी भी सरकारी पदों पर कदाचार को लेकर रायबरेली से अपनी सदस्यता गंवा चुकी हैं। यही काम राहुल ने किया, देश के पिछड़े समुदाय को अपशब्द कहा। कोर्ट ने सजा दी है उन्हें, लेकिन कांग्रेस कोर्ट का अपमान कर रही है। कोर्ट का किसी राजनीतिक दल से क्या लेना-देना। उसे तो राहुल के खिलाफ सबूत मिले, राहुल दोषी सिद्ध हुए। राहुल के अपराध को ढंकने के लिए भाजपा पर आरोप लगाने का कोई फायदा नहीं है। जनता को पता है कि ये राहुल गांधी के कर्मों की सजा है।Categories: