विश्व धूम्रपान निषेध दिवस विशेष, जरूर पढ़ें… और शेयर करें
विश्व में होने वाले कैंसर के कारणों में तम्बाकू सबसे प्रमुख कारण है।
कुल मौतों की 13 प्रतिशत मौतें तम्बाकू के सेवन के कारण होने वाली बीमारियों से होती है।
वर्ल्ड नो तम्बाकू डे के अवसर पर धूम्रपान व इससे होने वाले रोगों के बारे में बात करते हुये चिकित्सकों ने बताये- इसके कारण, नुकसान व रोकथाम के उपाय।
न्यूज़ चक्र। धूम्रपान की समस्या इतनी भयानक है की इससेे करीब हर मिनट 90 और हर घंटे 2200 से ज्यादा लोगों की मौत होती है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, दुनिया भर में 110 करोड़ लोग धूम्रपान करने वाले हैं, जो 15 वर्ष और उससे अधिक आयु की वैश्विक आबादी का एक तिहाई है। दुनिया के तीन चौथाई धूम्रपान करने वाले लोग विकासशील देशों में रहते हैं।
भारत में धूम्रपान की वर्तमान स्थिति-
15 वर्ष की आयु के 27 करोड़ से ज्यादा व्यक्ति भारत में तंबाकू का सेवन करते हैं, जो मृत्यु दर को बढ़ाने में बहुत बड़ा योगदान देता है। अनुमान है कि इससे सालाना लगभग 10 लाख लोगों की मौत होती है। भारत में एक तिहाई से अधिक व्यस्क तम्बाकू का उपयोग करते हैं। यह चिंताजनक बात है कि भारत में युवा व्यक्तियों (20- 35 वर्ष) में तम्बाकू का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। तम्बाकू का सेवन कई प्रकार से किया जाता है। जैसे पान, गुटखा, सिगरेट, ई सिगरेट, हुक्का इत्यादि। किसी भी प्रकार से इसका सेवन करना हानीकारक है। कुछ लोगों में यह भ्रांति है कि कुछ समय तक तम्बाकू का सेवन करने से कैंसर नहीं होता है, जो की सरासर गलत है।
मणिपाल हॉस्पिटल, जयपुर में रेडियेशन ऑकोलोजिस्ट डॉ. पूनम गोयल ने बताया कि तम्बाकू को किसी भी रुप व मात्रा में लेना घातक है। क्योंकि इससे मुख्यतया गले, मुंह, फेफड़े व स्तन, गर्भाशय का कैंसर होता है। लेकिन आज के युग में समय रहते पता लगने पर कैंसर का उपचार संभव है। कैंसर के मुख्य लक्षणों की बात करे तो सांस फूलना, भूख नहीं लगना, मूंह से खून आना, वजन कम होना, छाती में दर्द होना, आदि है। ये लक्षण महसूस होते ही अच्छे चिकित्सक की सलाह लेकर तुरंत उपचार करवाना चाहिये।
तंबाकू और स्वास्थ्यः- धूम्रपान करने वालों में मृत्यु दर धूम्रपान न करने वालों की तुलना में तीन गुना अधिक होती है और किशोरावस्था के शुरुआत में तंबाकू से संबंधित बीमारियों से मरने की 50 प्रतिशत संभावना ज्यादा होती है। तंबाकू के धुएं में निकोटीन, टार, कार्बन मोनोऑक्साइड, मेथोप्रीन, प्रोपलीन ग्लाइकॉल, बेंजोपायरीन जैसे 4000 से अधिक रसायन होते हैं। जिनमें से 40 ज्ञात हैं व कैंसर कारक है। इसके अलावा तंबाकू से बीमारीयों जैसे डिस्पेनिया, टैचीकार्डिया, उच्च रक्तचाप, अस्थमा का बढ़ना, नपुंसकता और बांझपन, हृदय रोग, स्ट्रोक, फेफड़ों का कैंसर और लगभग सभी अंग, सीओपीडी और टीबी का भी जोखिम है।
धूम्रपान और निष्क्रिय धूम्रपान
जो लोग धूम्रपान करते हैं वे न केवल खुद को बल्कि अपने आसपास के लोगों को भी पैसिव धुएं से नुकसान पहुंचाते हैं। घरों में धूम्रपान करने से एक तिहाई बच्चे तंबाकू के धुएं के संपर्क में आते हैं। इस कारण बच्चों में मृत्यु, सांस की बीमारियां, कान की बीमारी, मसूड़े और दाँत की बीमारी और अस्थमा का बढ़ना आम है और वयस्कों में फेफड़ों का कैंसर और हृदय रोग को बढ़ावा मिलता है।
किशोर धूम्रपान क्यों शुरू करते हैं?
1. परिपक्व दिखने के लिए
2. पीयर प्रेशर – अपने दोस्तों की तरह बनने के लिए
3. प्रयोग करने के लिए
एक अनुमान के अनुसार हर मिनट लगभग 4800 किशोर धुम्रपान की पहली बार शुरुआत करते है और हर मिनट लगभग 2000 पुराने धूम्रपान करने वाले बन जाते है। जितनी जल्दी वे धूम्रपान करना शुरू करते हैं, वयस्कता में जारी रहने की संभावना उतनी ही अधिक होती है। 20 साल की उम्र तक, 80 प्रतिशत धुम्रपान करने वालों को इस बात का पछतावा होता है कि उन्हें शुरु नहीं करनी चाहिये थी। लेकिन निकोटीन की लत के कारण कई लोग अपने वयस्क जीवनपर्यन्त धूम्रपान करना जारी रखते हैं।
वयस्क धूम्रपान क्यों करते हैं ?
1. जीवन के विभिन्न तनावों से निपटने के लिए – रोजगार, व्यावसायिक तनाव, रिश्ते की समस्याएं, शारीरिक, मौखिक दुर्व्यवहार और शराब, कोकीन व अन्य व्यसनों से निपटने के लिए।
2. आराम महसूस करने के लिए, कठिन समय से गुजरने में सक्षम होने के लिए,
3. सामाजिक धूम्रपान – कुछ लोगों के लिए धूम्रपान एक सामाजिक गतिविधि है और यह बातचीत शुरू करने का एक तरीका है और धूम्रपान आमतौर पर शराब के सेवन के साथ होता है।
डा. तुषार जग्गावत, मनोचिकित्सक निम्स हॉस्पिटल जयपुर ने बताया कि धूम्रपान के मनोवैज्ञानिक पहलू है। कुछ लोगों के लिए धूम्रपान एक मजा है। यह उन्हें मनोवैज्ञानिक आनंद देता है और यह आत्म अभिव्यक्ति की एक कला है। कई लोगों के लिए यह काम के दौरान आराम करने के लिए और खुशी के क्षण को जीने का एक बहाना है
धूम्रपान छोड़ने में मदद करने के वाले उपचार के दो तरीके हैं-
1- बिहेवियरल थेरेपी
2- फार्माकोलॉजिकल थेरेपी
दोनों उपचारों को मिलाकर उपचार करने पर तम्बाकू छोड़ने की सफलता दर अधिक होती है।