
खड़ब गांव की प्राचीन हवेलियां अब जर्जर और खंडहर जैसी स्थिति में पहुंच चुकी हैं। कभी ये हवेलियां गांव की पहचान और गौरवशाली इतिहास की प्रतीक थीं, जहां संयुक्त परिवारों का जीवन, अपनापन और सामाजिक रौनक झलकती थी। लेकिन अब इन हवेलियों की दीवारें दरक चुकी हैं, छतें झुक गई हैं और लकड़ी के दरवाज़े सड़ चुके हैं। समय के साथ जब लोग रोजगार और व्यवसाय के लिए बाहर गए, तो देखरेख के अभाव में ये हवेलियां टूटने की कगार पर पहुंच गईं।

गांव के पुराने मोहल्लों और मुख्य मार्गों में स्थित ये हवेलियां स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण मानी जाती थीं। मोटी ईंटों और पत्थरों की दीवारें, नक्काशीदार लकड़ी के दरवाज़े, ऊँची छतें और चौड़े आंगन इनके स्थापत्य कौशल की मिसाल हैं। लेकिन अब इनमें गहरी दरारें और झुकी दीवारें देखकर स्पष्ट होता है कि किसी भी समय बड़ा हादसा हो सकता है। बरसात और तेज हवाओं के दौरान कई हिस्सों से मलबा गिर चुका है, जिससे आस-पास रहने वाले ग्रामीणों में भय व्याप्त है। कई स्थानों पर हवेलियों की दीवारें रास्तों तक झुक चुकी हैं, जिससे गुजरना खतरनाक हो गया है।
स्थानीय इतिहासकार बताते हैं कि ये हवेलियां केवल स्थापत्य का प्रतीक नहीं, बल्कि गांव के सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन का आईना रही हैं। कभी इन आंगनों में बच्चों की किलकारियां और उत्सवों की रौनक गूंजती थी, आज वही हवेलियां सन्नाटे में डूबी पड़ी हैं।
गांव की यह सांस्कृतिक विरासत अब दोहरे संकट से गुजर रही है — एक ओर इसका ऐतिहासिक क्षरण हो रहा है, वहीं दूसरी ओर यह ग्रामीणों की जनसुरक्षा के लिए खतरा बनती जा रही है। बरसात या तूफान के दौरान इन हवेलियों के हिस्से गिरने का भय बढ़ जाता है, जिससे आस-पास के घरों और राहगीरों की सुरक्षा को खतरा बना हुआ है।
ग्राम पंचायत प्रशासन को इन हवेलियों की स्थिति को देखते हुए त्वरित कार्रवाई करनी होगी। प्रशासन द्वारा हवेलियों के मालिकों को जर्जर और खतरनाक हालात से अवगत कराते हुए नोटिस जारी करना आवश्यक है, ताकि वे समय रहते मरम्मत या सुरक्षा के कदम उठा सकें।
समय रहते उचित संरक्षण और मरम्मत कार्य किए जाने से न केवल खड़ब गांव की ऐतिहासिक पहचान को बचाया जा सकता है, बल्कि ग्रामीणों की जानमाल की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जा सकेगी।
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