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अशोक उर्फ ठाकरिया के खुली जेल में रहने के आदेश करवाये निरस्त और प्रसन्नदीप उर्फ पर्रा के आदेश निरस्तीकरण की प्रक्रिया जारी, दोनों अरेस्ट।

कोतवाली बहरोड़ पुलिस की 3 दिन के 2 हार्डकोर अपराधियों के विरुद्ध बड़ी कार्यवाही

अशोक उर्फ ठाकरिया के खुली जेल में रहने के आदेश करवाये निरस्त और प्रसन्नदीप उर्फ पर्रा के आदेश निरस्तीकरण की प्रक्रिया जारी, दोनों अरेस्ट।

हार्डकोर अपराधियो के विरुद्ध कोटपुतली बहरोड़ के कोतवाली थाने की बड़ी कार्यवाही, राजस्थान पुलिस के ध्येय वाक्य “आमजन मे विश्वास एंव अपराधियो मे भय” को किया सार्थक ।

 हार्डकोर अपराधी अशोक उर्फ ठाकरिया का खुली जेल जयपुर में दाखिल रहने का आदेश निरस्त, ठाकरिया त्रिलोक पार्षद हत्याकाण्ड प्रकरण में खुली जेल जयपुर मे आजीवन कारावास की भुगत रहा था सजा।

 हार्डकोर अपराधी अशोक उर्फ ठाकरिया के खुली जेल जयपुर मे रहने के दौरान कस्बा बहरोड़ मे अवैध गतिविधियो मे संलिप्त होने की सूचना प्राप्त होने पर कोतवाली पुलिस थाना बहरोड़ द्वारा सूचना का सत्यापन कर की गई कार्यवाही।

अपराधी अशोक उर्फ ठाकरिया को सजा के दौरान खुली जेल के स्थान पर केन्द्रीय कारागृह जयपुर में किया दाखिल।

बहरोड़। पुलिस मुख्यालय के निर्देशानुसार हार्डकोर अपराधियो एवं हिस्ट्रीशीटरों की गतिविधियों पर निगरानी एंव उनके विरुद्ध प्रभावी कार्यवाही किये जाने के क्रम मे कोतवाली थानाधिकारी बहरोड विक्रान्त शर्मा को गोपनीय सूत्रों से जानकारी प्राप्त हुई की थाना क्षेत्र के हार्डकोर अपराधी अशोक उर्फ ठाकरिया पुत्र रतनलाल जाति अहीर निवासी नैनसुख मोहल्ला बहरोड पुलिस थाना बहरोड जो कि थाना के प्रकरण सं. 746/2014 धारा 302, 109, 120बी भादस व 3/25 आर्म्स एक्ट में खुली जेल जयपुर मे आजीवन कारावास की सजा भुगत रहा है जो कस्बा बहरोड में आता जाता रहता है जिसने अपने साथ दो गनमैन भी रखे हुए है तथा अपनी आपराधिक पृष्टभूमि के कारण कस्बा बहरोड मे प्रतिष्ठित व्यक्तियो एंव व्यापारियो मे भय का महौल बनाकर अपने गुर्गों की मदद से अवैध वसूली भी कर रहा है तथा कस्बा बहरोड मे अपना वर्चस्व स्थापित कर आगामी नगर परिषद चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है। 

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 मुखबीर से उपलब्ध सूचना तथा तकनीकी साक्ष्यों व सीसीटीवी फुटेज के आधार पर यह पाया गया कि दिनांक 14 जुलाई को अशोक उर्फ ठाकरिया एक काले रंग की स्कोर्पियो में दो हथियार बंद गनमैन के साथ कस्बा बहरोङ मे नारनौल रोड पर स्थित होटल मॉम्स किचन में आया था जिनके आने से कुछ देर पूर्व उसके कुछ साथी लोग भी होटल में हाथ मे नोटों की ग‌ड्डिया लेकर अन्दर गये थे इस बात की पुष्टि होटल के सीसीटीवी फुटेज एंव मुखबीर से प्राप्त सूचना से हुई। कोतवाली पुलिस ने उक्त समस्त तथ्यो के बारे मे उच्चाधिकारियों को हार्डकोर अपराधी अशोक उर्फ ठाकरिया को सजा के दौरान खुली जेल के स्थान पर केन्द्रीय कारागृह जयपुर मे ही दाखिल किये गये जाने के सम्बध में पत्राचार किया गया जिस पर 5 अगस्त को महानिदेशक कारागार राजस्थान जयपुर द्वारा आदेश जारी कर हार्डकोर अपराधी अशोक उर्फ ठाकरिया का खुला बंदी शिविर आवंटन तुरन्त प्रभाव से निरस्त कर अपराधी को केन्द्रीय कारागृह जयपुर में दाखिल करने के आदेश पारित किये गये।

दर्ज रहे कि पुलिस थाना बहरोड के दो परस्पर विरोधी आपराधिक गैंग के सरगना अशोक उर्फ ठाकरिया तथा प्रश्नदीप उर्फ पर्रा के बीच आपसी रंजिश चली आ रही है। इसके चलते पूर्व में कस्बा बहरोड की कानून व्यवस्था कई बार प्रभावित हो चुकी है। हार्डकोर अपराधी प्रसन्नदीप उर्फ पर्रा भी हत्या के प्रकरण में अलवर खुला जेल मे सजा भुगत रहा था तथा वह भी ओपन जेल मे होते हुए कस्बा बहरोड मे लगातार आता जाता था तथा आपराधिक गतिविधियो में संलिप्त था वह भी 14 जुलाई को अलवर खुली जेल से फरार हो गया था। ऐसे में दोनो परस्पर विरोधी हार्डकोर अपराधियो के मध्य खूनी संघर्ष के संम्बध मे पुख्ता आसूचना थी जिस पर हार्डकोर अपराधियो व हिस्ट्रीशीटरर्स की गतिविधियो पर पुलिस द्वारा प्रभावी निगरानी की जा रही थी। हार्डकोर अपराधी प्रश्नदीप उर्फ पर्रा को 4 अगस्त को उसके दो अन्य साथियों आकाश उर्फ पर्रा व हेमन्त उर्फ अनन्तराव के साथ गिरफ्तार कर उनके कब्जे से एक अवैध पिस्टल भी बरामद की गई थी हार्डकोर अपराधी प्रश्नदीप उर्फ पर्रा के भी खुली जेल के आदेश को निरस्त कर सजा के दौरान केन्द्रीय कारागृह में दाखिल करने के सम्बध में भी आवश्यक विधिक कार्यवाही की जा रही है।

क्या हैं खुली जेल के नियम –

राजस्थान कैदी नियम, 1979 के अनुसार खुली जेल की अवधारणा इसलिए लाई गई ताकि अच्छे आचरण और व्यवहार वाले कैदी समाज में घुल-मिल सकें। कैदियों को अपने परिवार के सदस्यों से मिलने और समाजीकरण की प्रक्रिया में शामिल होने का मौका देता है। यह नियंत्रित जेलों में भीड़भाड़ को भी कम करता है। आम तौर पर, यह देखा गया है कि नियंत्रित जेलों में कैदियों को अच्छी रहने की स्थिति प्रदान नहीं की जाती है और उनके साथ बुरा व्यवहार किया जाता है। खुली जेलें उन्हें बेहतर स्थिति में रहने का मौका देती हैं और वहां कोई या न्यूनतम सुरक्षा नहीं होती है जिससे बुरे व्यवहार की संभावना कम हो जाती है और उन्हें सम्मान के साथ जीने में मदद मिलती है।

भारत में खुली जेल कैसे चलती है ?

• बंदी किसी भी समय काम के मक़सद से कहीं जा सकते हैं लेकिन उन्हें शाम तक लौटना होता है.

•  इसमें सलाखों और दीवारों का अभाव होता है, सुरक्षा उपाय न्यूनतम होते हैं…

•  परिवार के सदस्य आसानी से क़ैदियों से मिल सकते हैं.

भारत में खुली जेल के लिए कैदियों कयह अर्हतायें रखना आवश्यक –

• उम्मीदवार को खुली जेल के नियमों का पालन करना चाहिए और मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ होना चाहिए.

• यह ज़रूरी है कि उन्होंने जारी सज़ा का एक चौथाई हिस्सा पूरा कर लिया हो और इस दौरान उनका बर्ताव अच्छा रहा हो.

• उनकी उम्र 21 साल से ज़्यादा और 50 साल से कम हो.

• उन पर जघन्य अपराध जैसे रेप, हत्या, जालसाज़ी, डकैती आदि आरोप न हो.

• उन पर कोर्ट में पेंडिग मामले न हों.

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By Sanjay Hindustani

संजय हिंदुस्तानी, जर्नलिस्ट एन्ड ब्लॉगर, MBA/BJMC, अध्यक्ष प्रेस क्लब बहरोड़

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