और जब चाबी मिली तो जनरेटर में तेल खत्म !

बीडीएम जिला अस्पताल की लापरवाही, डॉक्टर का इंतजार करती रही पुलिस भी

न्यूज़ चक्र, कोटपूतली। शहर के बीडीएम जिला अस्पताल के ऑपरेशन थिएटर के बाहर आज एक युवती गंभीर घायल अवस्था में 20 मिनट तक स्ट्रेचर पर तडपती रही और अस्पताल स्टाफ ऑपरेशन थिएटर की ‘चाबी’ ढूंढता रहा। … और फिर जब जैसे तैसे चाबी मिली और घायल युवती को ऑपरेशन थिएटर में ले जाने लगे तो पता लगा जनरेटर में तेल भी खत्म है। इस दौरान घायल युवती को बीडीएम जिला अस्पताल पहुंचाने वाली पुलिस भी हाथ बांधे पूरा वाक्य देखती रही, लेकिन करें क्या, पुलिस ने तो अपनी ड्यूटी निभा दी थी।

दरअसल कोटपूतली के भालोजी बसई गांव में आज सुबह एक युवक व युवती किसी खेत में गंभीर घायल अवस्था में मिले थे। युवक व युवती के गले पर धारदार हथियार से काटने के निशान थे। सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस ने तुरंत घायलों को बीडीएम जिला अस्पताल पहुंचा दिया था। पुलिस के एएसआई शक्ति सिंह व अन्य स्टाफ सुबह 8:30 के करीब बीडीएम जिला अस्पताल के आपातकालीन वार्ड में घायलों को लेकर पहुंच गए थे। आपातकालीन वार्ड में मौजूद स्टाफ ने घायलों को प्राथमिक उपचार दिया। इसके बाद करीब 9:00 बजे युवती को ऑपरेशन थिएटर के लिए शिफ्ट कर दिया गया।

परिजन पुलिस व अस्पताल स्टाफ युवती को ऑपरेशन थिएटर के बाहर लेकर पहुंच गया लेकिन तब ना अस्पताल में विद्युत व्यवस्था थी और ना ऑपरेशन थिएटर में कोई स्टाफ। ऑपरेशन थिएटर बाहर से बंद था और परिजन, पुलिस व स्ट्रेचर पर लेटी घायल युवती करीब 20 मिनट तक ओटी के बाहर चाबी का इंतजार करते रहे।

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ऑपरेशन थिएटर के बाहर चाबी का इंतजार करते परिजन, पुलिस व घायल युवती

इस दौरान परिजन व पुलिस की सांसे हलक में अटकी रही कि कहीं युवती के साथ कोई अनहोनी ना हो जाए। बरहाल करीब 20 मिनट बाद ओटी की चाबी मिली तो पता चला कि अब जनरेटर में तेल नहीं है। आनन-फानन में जनरेटर में तेल डलवा कर चालू करवाया गया, इससे पहले अस्पताल स्टाफ के बताए अनुसार अस्पताल में मौजूद इनवर्टर के सहारे ऑपरेशन चालू कर दिया गया था। लेकिन यह शर्मनाक स्थिति देखकर पुलिस भी दबी जुबान से अस्पताल का विरोध करती रही लेकिन खुलकर ‘खाकी’ भी नहीं बोल पाई।

इस पूरे मामले को लेकर पीएमओ डॉ. अश्वनी गोयल का कहना है कि …

‘ ट्रॉमा सेंटर में दोनों का इलाज पूरा हो गया था दोनों की स्थिति खतरे से बाहर थी। रविवार को ऑपरेशन थिएटर में केवल इमरजेंसी मरीज ही लेते हैं, इसलिए चाबी स्टाफ के पास रहती है। स्टाफ को बुला लिया गया था। अब ऐसा कोई इशू नहीं है।’