देखने को मिला श्रद्धा, सेवा और समर्पण का अद्भुत संगम
न्यूज़ चक्र। 17 जुलाई 2025, कोटपूतली। श्रावण मास की पवित्र बेला में जब पूरा वातावरण हर-हर महादेव के जयघोष से गूंजता है, तब सेवा, श्रद्धा और आस्था की त्रिवेणी बनकर शिवभक्तों की भावनाओं को साकार करने के लिए 25वें शिव कांवड़ सेवा शिविर का भव्य शुभारंभ हुआ।

गुरुवार को महाराज श्री श्री 1008 मंगल दास महाराज ने दीप प्रज्वलित कर इस पावन शिविर का उद्घाटन किया। यह शिविर कोटपुतली स्थित एनएच-8 पर सरोज मार्केट के पास आयोजित किया गया।
शिविर के प्रारंभ में नरेंद्र महाराज, पुजारी श्री श्याम मंदिर द्वारा वैदिक विधियों के साथ पूजा-अर्चना कर वातावरण को भक्तिमय बना दिया। शंख, घंटियों और मंत्रोच्चार की ध्वनि ने जैसे शिवभक्तों के अंतर्मन को झंकृत कर दिया हो।

यह शिविर हर वर्ष की तरह इस बार भी रामावतार सैनी एवं फल-सब्जी मंडी अध्यक्ष रमेश सैनी भगत जी की प्रेरणा और संयोजन से आयोजित किया गया है। 25 वर्षों की यह यात्रा केवल सेवा की नहीं, बल्कि समाज को जोड़ने, नई पीढ़ी को संस्कार देने और भक्ति के साथ कर्मयोग को जोड़ने की मिसाल बन चुकी है।
शिविर के शुभारंभ अवसर पर सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे, जिनमें प्रमुख रूप से – रमेश जी मुनीम, कालूराम सैनी, इंद्राज सैनी, पप्पूराम सैनी, पवन सैनी, बिल्लूराम सैनी, ख्यालीराम सैनी, बिरदीचंद सैनी (पूर्व समाज अध्यक्ष), राकेश सैनी (पूर्व समाज अध्यक्ष), सुन्दरलाल सैनी, रिटायर्ड लेफ्टिनेंट बाबूलाल जी, श्रीराम सैनी, राजेश सैनी (बागवान), रामसिंह सैनी, रामविलास, अनिल, विवेक सैनी, मदनलाल सैनी, कन्हैयालाल सैनी (पूर्व कांग्रेस ब्लॉक अध्यक्ष), रमाकांत राजौरिया, अशोक सैनी, रोहित, उपांशु, कमल, दीपांशु, प्रह्लाद जी सैनी, थंडूराम सैनी, भावेश सैनी, अमरसिंह मुनीम, मिलन, मनोज सैनी सहित कई गणमान्य लोग मौजूद रहे।

शिविर में भव्य पंडाल, जल एवं भोजन की व्यवस्था, स्वास्थ्य सेवाएं, विश्राम स्थल, मेडिकल सहायता आदि हर सुविधा शिवभक्तों के लिए सुलभ कराई गई है। यह आयोजन न केवल श्रद्धालुओं को सहूलियत देने का माध्यम है, बल्कि यह सामाजिक समरसता, आत्मीयता और धर्म-संस्कारों की जीवंत मिसाल भी है।
हर वर्ष सैंकड़ों की संख्या में शिवभक्त कांवड़ लेकर हरिद्वार, गौमुख, नीलकंठ आदि स्थानों से पवित्र जल लाकर भोलेनाथ को अर्पित करते हैं। ऐसे में इस सेवा शिविर की भूमिका अनमोल है, जो थके पथिकों के लिए छांव, भूखे के लिए भोजन और आस्था के लिए संबल बनता है।
यह शिविर केवल आयोजन नहीं, बल्कि सद्भाव, सेवा और श्रृद्धा की एक जीवंत परंपरा है, जो वर्षों से समाज को एक सूत्र में पिरो रही है। आयोजकों का यह प्रयास प्रशंसनीय ही नहीं, प्रेरणादायी भी है।
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