डी-डॉलरीकरण की लहर तेज, विशेषज्ञ बोले – पोर्टफोलियो में 5-10% सोना जरूरी, लेकिन संतुलन भी जरूरी

हैडलाइंस :
- 2024 में केंद्रीय बैंकों ने 1,045 टन सोने की रिकॉर्ड खरीद की
- डॉलर पर निर्भरता घटाने के लिए बढ़ी सोने की अहमियत
- निवेशकों को 80:20 के अनुपात में इक्विटी और गोल्ड/डेट में निवेश की सलाह
- सोने के रिटर्न में उतार-चढ़ाव, जबकि निफ्टी ने दिया स्थिर लाभ
- घरेलू बाजार में सोने की कीमत 1 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंचने की संभावना
न्यूज़ चक्र। वैश्विक महंगाई, ब्याज दरों में अनिश्चितता और भूराजनीतिक तनावों के बीच दुनिया के केंद्रीय बैंक अब सोने को रणनीतिक रूप से अपना रहे हैं। साल 2024 में केंद्रीय बैंकों ने मिलकर 1,045 टन सोना खरीदा — यह बीते वर्षों में अब तक की सबसे बड़ी खरीद में से एक है। जानकार मानते हैं कि यह बदलाव महज निवेश नहीं, बल्कि वैश्विक आर्थिक संरचना में परिवर्तन का संकेत है।
डी-डॉलरीकरण की दिशा में यह बड़ा कदम चीन की अगुवाई में शुरू हुआ था, जो अब कई देशों द्वारा अपनाया जा चुका है। इसका उद्देश्य है — वैश्विक मुद्रा बाजार में डॉलर की पकड़ को कमज़ोर करना और विदेशी मुद्रा भंडार को स्थायित्व देना।
सोना क्यों है केंद्रीय बैंकों की पहली पसंद?
- सरकारों और मुद्राओं से स्वतंत्र होने के कारण सोने को वैश्विक संकटों में सुरक्षित माना जाता है।
- मुद्रा अस्थिरता और मंदी के दौर में यह एक ‘हेज’ संपत्ति के रूप में काम करता है।
- रूस-यूक्रेन युद्ध, अमेरिका-चीन व्यापार तनाव और पश्चिम एशिया में तनाव ने इसकी मांग को और तेज किया है।
निवेशकों के लिए क्या है विशेषज्ञों की सलाह?
कामा ज्वैलरी के एमडी कॉलिन शाह का कहना है कि,
“सोने में निवेश आर्थिक अस्थिरता के समय सुरक्षित विकल्प होता है। आने वाले समय में इसकी कीमतों में तेजी आ सकती है। हम उम्मीद कर रहे हैं कि यह घरेलू बाजार में 1 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर तक पहुंच सकता है।”
आनंद राठी वेल्थ के चेतन शेनॉय का मानना है,
“पोर्टफोलियो में संतुलन बेहद जरूरी है। हम निवेशकों को सलाह देते हैं कि वे इक्विटी और डेट/गोल्ड में 80:20 के अनुपात में निवेश करें। हालांकि, सोने की हिस्सेदारी 5-10% से अधिक नहीं होनी चाहिए।”
सोने की अस्थिरता बनाम निफ्टी का स्थायित्व
- बीते पांच वर्षों में सोने का औसत रिटर्न 1.73% तक गिरा
- निफ्टी 50 ने दीर्घकाल में जोखिम समायोजित स्थिर रिटर्न दिया
- विशेषज्ञ मानते हैं कि केवल सोने पर निर्भर रहना निवेश में समझदारी नहीं
एक्सपर्ट व्यू
अगर आप निवेश की योजना बना रहे हैं, तो सोने को नजरअंदाज न करें — लेकिन पोर्टफोलियो में संतुलन बनाना जरूरी है। आर्थिक अनिश्चितताओं के इस दौर में सोना बचाव का मजबूत साधन है, लेकिन दीर्घकालिक स्थायित्व और बेहतर रिटर्न के लिए इक्विटी को नजरअंदाज करना भारी भूल हो सकती है।