
स्वामी आदित्यानंद के सानिध्य में हुआ यज्ञ, आर्य समाज के संस्थापक को दी गई श्रद्धांजलि
न्यूज़ चक्र, कोटपूतली। आर्य समाज कोटपूतली के पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं ने दीपावली के शुभ अवसर पर आर्य समाज के संस्थापक एवं समाज सुधारक महर्षि दयानंद सरस्वती का 142वां बलिदान दिवस श्रद्धा एवं भावनाओं के साथ मनाया। इस अवसर पर प्रातः 9 बजे स्वामी आदित्यानंद के सानिध्य में वैदिक रीति से यज्ञ का आयोजन किया गया।

यज्ञ में अशोक कुमार आर्य एवं बहन अनीता शास्त्री ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ महर्षि दयानंद को स्मरण करते हुए आहुतियां प्रदान कीं। कार्यक्रम में बहन अनीता शास्त्री ने महर्षि दयानंद सरस्वती के जीवन एवं उनके कार्यों पर विस्तृत प्रकाश डालते हुए कहा कि उन्होंने उस युग में समाज में व्याप्त कुरीतियों, आडंबरों और पाखंडवाद को समाप्त करने का संकल्प लिया तथा समाज को वेदों की ओर लौटने का संदेश दिया। उन्होंने महिला शिक्षा को प्रोत्साहित किया और समानता का मार्ग प्रशस्त किया।
शास्त्री ने कहा कि दीपावली के दिन ही वह महान आत्मा, जिसने समाज में ज्ञान का प्रकाश फैलाया, उसे विष देकर संसार से विदा कर दिया गया। उन्होंने बताया कि यह दिवस न केवल बलिदान का प्रतीक है बल्कि सत्य और ज्ञान के प्रकाश की विजय का प्रतीक भी है।
दीपावली पर्व के ऐतिहासिक और वैदिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए बहन अनीता शास्त्री ने कहा कि यह पर्व शारदीय नवसंवत्सरी यज्ञ के रूप में भी मनाया जाता है। प्राचीन काल में लोग नई फसल के आगमन पर सामूहिक यज्ञ करते थे, जो समाजिक एकता और प्रसन्नता का प्रतीक था।
इस अवसर पर स्वामी आदित्यानंद ने कहा कि वेदों के मंत्रों का भावार्थ समझते हुए यदि हम ईश्वर की स्तुति, प्रार्थना और उपासना करें, तो जीवन में वास्तविक लाभ और शांति प्राप्त होती है।
कार्यक्रम के दौरान बहन अनीता शास्त्री के राजकीय सेवा में प्रधानाचार्य पद पर पदोन्नत होने पर उनका सम्मान भी किया गया।
कार्यक्रम में रामकुमार सैनी, डॉ. हरीश कुमार, अशोक कार्य, संजीव कुमार शर्मा, जगदीश आर्य, शीशराम यादव (कोषाध्यक्ष), बहादुर सिंह आर्य, रमेश कुमार आर्य, आर्यन, हर्ष वर्मा, अरनव आर्य एवं चन्द्रशेखर आर्य सहित अनेक आर्य समाज के सदस्य उपस्थित रहे।
सभी वक्ताओं ने दीपावली के पर्व को आनंद, उत्साह और समाजिक सद्भाव के साथ मनाने का आह्वान किया।



