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न्यूज़ चक्र, विराटनगर। वर्षों से लंबित पंचायत समिति की मांग को लेकर मैड कुंडला क्षेत्रवासियों का धैर्य अब जवाब देने लगा है। नवीन प्रशासनिक पुनर्गठन के तहत प्रस्तावित पंचायत समिति मैड कुंडला को अभी तक प्रकाशित नहीं किए जाने से क्षेत्र में भारी आक्रोश व्याप्त है। इसी के चलते शुक्रवार को ग्रामीणों ने विराटनगर SDM कार्यालय पर प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपा और सरकार को चेतावनी दी कि यदि शीघ्र प्रस्ताव प्रकाशित नहीं किया गया, तो वे व्यापक आंदोलन करेंगे।

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‘मैड कुंडला को पंचायत समिति बनाओ संघर्ष समिति’ के अध्यक्ष शिवपाल सूद और सचिव नवीन राज रावत ने जानकारी देते हुए बताया कि नवीन प्रस्ताव में विराटनगर पंचायत समिति के अंतर्गत आने वाले मैड कुंडला क्षेत्र की 13 ग्राम पंचायतों को सम्मिलित किया गया है। इन ग्राम पंचायतों में मैड़, जोधुला, पूरावाला, तालवा बिहाजर, पालड़ी, दूधी आमलोदा, बड़ोदिया, भामोद, नवरंगपुरा, बीलवाड़ी, चतरपुरा, बागावास 84 और तेवड़ी शामिल हैं।

इसके अतिरिक्त नवीन पुनर्गठन में सेवरा खेड़ा, श्यामपुरा, श्यामनगर (स्वामियों की ढाणी), बरवाड़ा पणदो और बियावास को नवगठित ग्राम पंचायत के रूप में सम्मिलित किया गया है। इस प्रकार कुंडला क्षेत्र में कुल पंचायतों की संख्या 18 हो गई है, जिससे यह क्षेत्र पंचायत समिति बनाए जाने की सभी प्रशासनिक और जनसंख्या संबंधी अहर्ताएं पूरी करता है।

संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने यह भी बताया कि प्रस्तावित पंचायत समिति में भोजेरा (भोजेरा, सताना, चक बाई का बास, दौलाज), हरिकिशनपुरा (हरिकिशनपुरा, कल्याणपुरा, बामनवास), ढाणी जोगियान, गुर्जरपुरा, सूरपुरा, करणीनगर, टांडा, खातौलाई और जवानपुरा जैसे समीपवर्ती क्षेत्र भी जोड़े जा सकते हैं। इन ग्राम पंचायतों के आधार पर यह प्रस्ताव जिला कलेक्टर कोटपुतली-बहरोड़ के माध्यम से प्रकाशित कर राज्य सरकार को भेजा जा सकता है।

ग्रामीणों का कहना है कि यह क्षेत्र वर्षों से राजनीतिक उपेक्षा का शिकार रहा है, जिसके कारण विकास की गति अत्यंत धीमी रही है। अगर मैड कुंडला को स्वतंत्र पंचायत समिति का दर्जा मिलता है, तो इससे न केवल क्षेत्र में विकास को गति मिलेगी, बल्कि रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। उन्होंने आग्रह किया कि क्षेत्र की भावनाओं और लोकहित को दृष्टिगत रखते हुए शीघ्र प्रस्ताव प्रकाशित किया जाए।

ज्ञापन के माध्यम से ग्रामीणों ने प्रशासन को चेताया कि यदि पंचायत समिति के गठन में और देरी की गई तो वे उग्र आंदोलन की राह अपनाने को बाध्य होंगे।

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