Half the population's road closed

आधी आबादी का रास्ता बंद, वजह जानकर हैरानी होगी आपको !

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हुक्मरानों की बेरुखी से नरक हुई जिंदगी

न्यूज़ चक्र, कोटपूतली। विकास वर्मा। कोटपूतली के वार्ड नंबर 3, इटली की ढाणी से होकर दर्जनों गांव को जोड़ने वाला रास्ता पिछले 5 साल से बंद है। इस रास्ते पर कीचड़, गंदगी और दलदल इस कदर कब्जा जमा चुका है कि यहां से चौपाया- दुपहिया वाहन तो क्या, कोई पैदल भी नहीं निकल सकता। कोटपूतली शहर और इससे जुड़े गांव के लिए आपदा बन चुके इस समस्या पर देखिए न्यूज़ चक्र की यह खास रिपोर्ट, सीताराम गुप्ता व विकास वर्मा के साथ…

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कोटपूतली शहर और इससे प्रभावित दर्जनों गांव के लिए यह समस्या किसी ‘आपदा’ से कम नहीं है। वैसे आपदा तो अचानक आती है लेकिन यह एक ऐसी आपदा है जिसने यहां अपना घर बना लिया है। 5 साल से ज्यादा का समय कम नहीं होता। एक-एक दिन के आश्वासन पर पिछले नगर पालिका बोर्ड का पूरा कार्यकाल निकल गया लेकिन इस समस्या की कोई ‘राह’ नहीं निकल पाई।

बोर्ड बदला है तो उम्मीदें भी जागी है

नगर पालिका कोटपूतली का पिछला कार्यकाल विवादास्पद रहा। भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे नगर पालिका बोर्ड ने यहां इटली के जोहड़ के पानी की निकासी के लिए ट्रैक्टरों की व्यवस्था की, पाइप बिछाए गए, लेकिन पानी तो नहीं निकला उल्टे ट्रैक्टरों में डीजल के फर्जी बिलों के भुगतान के समाचार जनता को पढ़ने को मिले। इसके बाद क्षेत्रीय विधायक व राज्य मंत्री राजेंद्र सिंह यादव व नगरपालिका अध्यक्ष महेंद्र सैनी ने विधिवत पूजन कर यहां करीब एक करोड़ बजट योजना का शिलान्यास किया। राज्य मंत्री ने भरोसा दिलाया कि आगामी 6 माह में समस्या से राहत मिल जाएगी। इसके बाद योजना पर स्टे लगा, फिर लॉकडाउन लगा और अब योजना पानी पर अधर झूल रही है।

कार- बाइक तो क्या, जरूरत पड़े तो एंबुलेंस भी नहीं आ सकती !

करीब 7-8 साल पहले तक कोटपूतली की इटली की ढाणी का यह जोहड़ सीमित क्षेत्र में था और लोग यहां मछलियों को चुग्गा डालने आते थे। लेकिन गत 5 साल में जोहड़ के पानी का स्तर इतना बढ़ गया है कि प्रतिदिन लोगों की देहरी चूम रहा है। हालात ये हैं कि घर से आते जाते समय बच्चे पानी में ना गिर जाए इस डर से घर के किसी एक सदस्य को हरदम चौकसी रखनी पड़ रही है। आप समस्या की गंभीरता का अंदाजा लगा सकते हैं कि लोग यहां कार- बाइक तो क्या, अगर जरूरत पड़े तो एंबुलेंस भी नहीं ला सकते। ऐसे में यहां बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं को अस्पताल लाना ले जाना भी जंग लड़ने जैसा है।

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