In celebration of Makar Sakranti

मकर सक्रांति के उपलक्ष में शांति यज्ञ एवं सत्संग का आयोजन, प्रवचन सुनने पहुंचा ‘शहर’

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न्यूज चक्र, कोटपूतली। आर्य समाज द्वारा नगर पालिका कोटपूतली में मकर सक्रांति के उपलक्ष में शांति यज्ञ एवं सत्संग का आयोजन किया गया। यज्ञ के ब्रह्मा स्वामी सच्चिदानंद ने मकर संक्रान्ति का महत्व बताते हुए वैदिक मंत्रों से यज्ञ सम्पन्न करवाया। यज्ञ पर मनीराम शर्मा, लक्ष्मण सिंह आर्य, राजेश आर्य, अशोक आर्य, हर्षित यादव सपत्नी यजमान रहे।

आचार्य जी ने अपने उद्बोधन में बताया कि महर्षि दयानंद ने वेदों के पुनरुद्धार करने हेतु आर्य समाज संगठन की स्थापना की थी तथा एक ईश्वर के गुण व स्वरूप की व्याख्या करते हुए श्रोताओं को ईश्वर की व्याख्या की। महात्मा ओम मुनी ने बताया कि वर्तमान में मंदिर, गुरु तथा सत्संग बहुत बढ़ रहे हैं फिर भी समाज में दुष्कार्य बढ़ते ही जा रहे हैं। इसका मूल कारण वेदों के सच्चे ज्ञान से दूर होना है।

मधुर भजनों ने मन मोहा

चंडीगढ़ से आए भजनोंपदेशक पंडित उपेंद्र आर्य ने अपने सुंदर एवं मधुर भजनों के माध्यम से बताया कि जैसे सूर्य के सामने चलने से परछाई पीछे रहती है, ठीक इसी तरह वेदों के ज्ञान की तरफ़ बढ़ने से अंधकार भी पीछे ही रह जाता है। लेकिन आज वेदों के सूर्य से मुँह मोड़ने के कारण लोग अंधकार में ही फँसते जा रहे हैं। वेदों के सच्चे स्वरूप को आर्य समाज के मंच से ही सुना जा सकता है। अपने उद्बोधन में उन्होंने देश पर बलिदान होने वाले स्वतंत्रता सैनानियों एवं राजस्थान की धरा पर उत्पन्न हुए महाराणा प्रताप एवं भामाशाह के प्रसंग सुनाकर श्रोताओं का मार्गदर्शन किया।

मंच संचालन अशोक आर्य ने किया तथा सभी आगंतुक महानुभावों का आर्य समाज के कार्यकर्ताओं ने वैदिक साहित्य प्रदान कर स्वागत किया। रमेश कुमार आर्य ने आभार प्रकट किया। कार्यक्रम में प्रधान जयराम आर्य, मंत्री बहादुर सिंह आर्य, कोषाध्यक्ष शीशयादव, रामकुमार सैनी, अशोक सैनी, ब्रह्मदेव कोकचा, जगदीश आर्य, डॉक्टर हरीश गुर्जर, पोकर मल गुर्जर, कैलाश अथोनियां, धनपत मिस्त्री, बहरोड़ आर्य समाज के प्रधान रामानंद यादव, राम कृष्ण शास्त्री, सतवीर आर्य, महाशय भगवान सहाय, घीसाराम आर्य, सत्यनारायण सैनी, मैथिली शरण, राम सिंह मैनेजर एवं शहर के अनेक प्रबुद्ध नागरिक तथा महिलायें उपस्थित रहे हैं।

सुनिए प्रवचन

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