कोटपूतली में बस स्टैंड नहीं: यात्री असहाय, हर रोज़ मंडराता है जान का खतरा
न्यूज़ चक्र, कोटपूतली। कोटपूतली जिले का कोटपूतली शहर, जो व्यापार और औद्योगिक गतिविधियों में लगातार आगे बढ़ रहा है, आज एक बुनियादी सुविधा से वंचित है। यहां के नागरिकों और यात्रियों को आज भी एक सुव्यवस्थित बस स्टैंड न होने की भारी कीमत चुकानी पड़ रही है। सुबह से शाम तक, सैकड़ों यात्री राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 48 पर बसों का इंतजार करते नजर आते हैं। धूप हो या बारिश, कोई छांव नहीं, कोई सुरक्षित स्थान नहीं। केवल उम्मीद होती है कि अगली बस रुके और वे उसमें सुरक्षित चढ़ सकें।

सबसे अधिक परेशानी बुजुर्गों, महिलाओं और स्कूली बच्चों को होती है, जो पैदल चलकर हाईवे तक पहुंचते हैं। वहां उन्हें तेज रफ्तार से गुजरते वाहनों के बीच खड़े होकर बस का इंतजार करना पड़ता है। कई बार बसें रुकती ही नहीं, और अगर रुकती भी हैं तो बीच सड़क में। यात्री दौड़कर बस में चढ़ने की कोशिश करते हैं, जिससे गिरने या दुर्घटनाग्रस्त होने का खतरा हमेशा बना रहता है।
हाईवे पर टैक्सियों से बढ़ रहा खतरा
इस अव्यवस्था को और गंभीर बना देती है हाईवे किनारे खड़ी टैक्सियां और अन्य निजी वाहन। खासकर सांवरिया और दीवान होटल के सामने अवैध टैक्सी स्टैंड यात्रियों और राहगीरों के लिए एक स्थायी खतरा बन चुका है। कई बार इन जगहों पर हादसे हो चुके हैं, लेकिन कोई स्थायी समाधान अब तक नहीं निकला है।

4-6 ट्रैफिक कर्मी रहते हैं मौजूद
हैरानी की बात यह है कि इस क्षेत्र में अक्सर 4 से 6 यातायात कर्मी मौजूद रहते हैं, लेकिन फिर भी न तो टैक्सियों पर नियंत्रण होता है और न ही बसों की अनियंत्रित आवाजाही पर कोई निगरानी। यह न केवल यातायात व्यवस्था की लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि आम नागरिकों की जान की कीमत को लेकर शासन की उदासीनता भी दिखाता है।
स्थानीय लोगों की पीड़ा अब असहनीय हो चुकी है। कई बार प्रशासन से गुहार लगाई जा चुकी है, लेकिन हर बार आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला। एक ऐसा शहर जो तेजी से प्रगति कर रहा है, वहां के नागरिकों को सुरक्षित यात्रा की सुविधा न मिलना दुर्भाग्यपूर्ण है।

अब समय आ गया है कि कोटपूतली के लिए एक सुरक्षित, व्यवस्थित और आधुनिक बस स्टैंड की दिशा में ठोस कदम उठाया जाए। साथ ही टैक्सियों की अवैध पार्किंग को हटाकर यातायात व्यवस्था को दुरुस्त किया जाए। क्योंकि जब तक व्यवस्था नहीं सुधरेगी, तब तक कोटपूतली के नागरिकों की यात्रा हर रोज़ एक जोखिम बनी रहेगी। और हर दिन यही डर बना रहेगा कि अगला हादसा किसका इंतज़ार कर रहा है।
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