कोटपूतली – बहरोड़ को मिलाकर नया जिला, कितना होगा ‘ जिला क्षेत्र’

कोटपूतली - बहरोड़ को मिलाकर नया जिला

न्यूज़ चक्र। कोटपूतली – बहरोड़ को मिलाकर नया जिला बनाने की घोषणा के साथ ही अब ‘ जिला क्षेत्र ‘ व ‘जिला मुख्यालय’ को लेकर चर्चा जोरों पर हैं। जहाँ एक तरफ पहली विधानसभा गठन के साथ ही चली आ रही कोटपूतली को जिला बनाने की मांग पूरी हो गई है, वहीँ कोटपूतली के साथ बहरोड़ या बहरोड़ के साथ कोटपूतली नाम जुड़ने से लोगों में असमंजस व निराशा भी है।

गौरतलब है कि प्रदेश में पहले कुल 33 जिले थे, अब नये 19 जिलों का गठन किया गया है। इनमें जयपुर व जोधपुर को क्रमश: जयपुर उत्तर व दक्षिण एवं जोधपुर पूर्व व पश्चिम में विभक्त किया गया है। इसके अलावा अनूपगढ़, बालोतरा, ब्यावर, डीग, नागौर के डीडवाना व कुचामन, दुदु, गंगापुर सिटी, केकड़ी, खैरथल, नीमकाथाना, फलौदी, सलुम्बर, सांचौर व भीलवाड़ा के शाहपुरा को नया जिला बनाया गया है।

जयपुर ग्रामीण के कोटपूतली व बहरोड़ को मिलाकर नया जिला बनाया गया है। जिसका मुख्यालय संभवत : कोटपूतली के पनियाला में होगा। इस प्रकार नये जिला मुख्यालय की कोटपूतली, बहरोड़ व बानसूर कस्बे से लगभग समान दूरी होगी। नया जिला बनने से क्षेत्र का आर्थिक, सामाजिक व राजनैतिक विकास भी तेजी से होगा।

कोटपूतली को जिला बनवाने के लिए क्षेत्रीय विधायक व गृह राज्यमंत्री राजेन्द्र सिंह यादव द्वारा निरन्तर प्रयास किये जा रहे थे। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने अपने चुनाव घोषणा पत्र में कोटपूतली को जिला बनवाने का वादा किया था। यही नहीं करीब 6 माह पूर्व कोटपूतली को जिला ना बनाने पर पार्टी व पद से इस्तीफा देने की चेतावनी भी दी थी।

जिला कोटपूतली : आजादी के बाद से हो रही थी माँग

उल्लेखनीय है कि कोटपूतली को जिला बनाये जाने की माँग देश की आजादी के बाद राजस्थान के गठन के साथ ही होने लगी थी। सर्वप्रथम यहाँ के प्रथम विधायक बाबू हजारी लाल जोशी ने प्रथम विधानसभा में कोटपूतली को जिला बनाने की माँग की थी। इसके बाद से ही निरन्तर राजनैतिक रूप से माँग की जा रही थी। पिछले 75 वर्षो में अलग-अलग संगठनों के माध्यम से लगातार धरना प्रदर्शन व ज्ञापन का दौर भी जारी रहा।

यहाँ से जीतने वाले लगभग हर विधायक ने अपने-अपने स्तर पर कोटपूतली को जिला बनाने के सार्थक प्रयास करें। इनमें विशेष रूप से प्रथम विधायक पं. हजारी लाल जोशी के अलावा विकास पुरूष मुक्तिलाल मोदी, रामकरण सिंह गुर्जर, सुरेश शर्मा, रामचन्द्र रावत, डॉ. आर.एस.गौड़, सुभाष चंद शर्मा व गहलोत सरकार में संसदीय सचिव रहे रामस्वरूप कसाना का योगदान भी अपने समय पर उल्लेखनीय रहा है।

गैर राजनैतिक रूप से बात की जाये तो सर्वदलीय जिला निर्माण संघर्ष समिति के स्व. वैद्य बालाबक्श शास्त्री ने भी कई बार जिले की मांग को लेकर धरने प्रदर्शन किये। जिला निर्माण एवं समग्र विकास समिति के संस्थापक शिक्षाविद् हीरालाल भूषण व अध्यक्ष हँसराज पटेल ने भी कई बार जिले की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन व ज्ञापन दिये। कोटपूतली विकास परिषद् के संयोजक रहते एडवोकेट अशोक बंसल व प्रतिनिधि मंडल ने तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरोंसिंह से 17 बार मिलकर जिले की मांग की। वहीं भाजपा नेता मुकेश गोयल ने कोटपूतली के विभिन्न गाँवों में पोस्ट कार्ड अभियान चलाया व रथ यात्रा भी निकाली ।

कोटपूतली – बहरोड़ नया जिला, कितना होगा ‘ जिला क्षेत्र’

नये जिले कोटपूतली – बहरोड़ में जयपुर की पावटा व विराटनगर, अलवर जिले की नारायणपुर, बानसूर, बहरोड़, नीमराणा व मुण्डावर तहसील भी शामिल की जा सकती है। वैसे खैरथल को भी जिला घोषित किये जाने पर मुंडावर को कोटपूतली – बहरोड़ जिले में शामिल किये जाने पर संशय बरकार है। नये जिला मुख्यालय के लिए ग्राम कालुहेड़ा में मिनी सचिवालय व पुलिस लाईन निर्माण हेतु 180 बीघा जमीन का आंवटन हो चुका है। ऐसे में अभी अधिसूचना जारी होने के बाद ही तस्वीर साफ हो पायेगी।

कोटपूतली - बहरोड़ को मिलाकर नया जिला
कोटपूतली – बहरोड़ जिले का संभावित नक्शा

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