राजस्थान : ‘अपराध’ बना चुनावी चौपाल का मुद्दा। पढ़िए, कैसे बढ़ा प्रदेश में अपराध का ग्राफ

1 min read
Read Time:4 Minute, 14 Second

न्यूज़ चक्र, कोटपूतली। राजस्थान विधानसभा चुनाव का लगभग शंखनाद हो चुका है। सरकार के मौजूदा मंत्री व विधायकों से लेकर भावी प्रत्याशी चुनाव मैदान में सरपट दौड़ने लगे हैं। एक तरफ सरकार के विधायक व कांग्रेस कार्यकर्ता राज्य सरकार की उपलब्धियां गिनवाने को तैयार हैं तो वहीं विपक्ष व अन्य भावी उम्मीदवारों के लिए ‘राजस्थान का क्राइम ग्राफ’ मुख्य चुनावी मुद्दा बनता दिखाई दे रहा है।

राज्य में महिला व दलित अपराध और अत्याचारों को लेकर राजनीति गर्मा रही है तो दूसरी तरफ एक के बाद एक अपराधिक घटनाएं झकझोर रही है। राजस्थान के भरतपुर में लगातार फायरिंग व गंगवार की घटना हुई है, तो वही करौली की घटना अभी तक लोगों की जबान पर है, जिसमें एक तरफा प्रेम में पागल एक सरफिरे युवक ने दलित युवती के साथ बलात्कार कर महज इसलिए गोली मारकर लाश कुएं में फेंक दी क्योंकि वो उसके साथ सगाई से इंकार कर रही थी। वहीं कोटडी भीलवाड़ा में 3 अगस्त, 2023 हुई घटना ने तो समूचे प्रदेश को झकझोर दिया। जिसमे लापता 15 वर्षीय नाबालिग बच्ची के साथ रेप और फिर भट्टी में जलाने का मामला सामने आया।

अगर केवल महिला अपराधों को लेकर एनसीआरबी की रिपोर्ट पर गौर करें तो वर्ष 2018 में प्रदेश में महिला अपराध के 27,866 मामले दर्ज हुए थे। जो 2019 में बढ़कर 41,550 हो गए। जो देश में उत्तर प्रदेश के बाद दूसरे नम्बर पर थे। उसके पश्चात राजस्थान में महिला अपराध के मामले में प्रदेश शीर्ष पर है। एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार 2021 में सबसे अधिक बलात्कार के मामले राजस्थान में दर्ज हुए है, औसत 17 महिलाओं से प्रतिदिन रेप दर्ज किया गया।

इसी बीच खंगालने पर आपराधिक रिकॉर्ड के आंकड़े भी सामने आए हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) 2020-21 के आंकड़ों के मुताबिक नाबालिग, विवाहित सभी आयु की महिलाओं के साथ बलात्कार की घटनाओं ने प्रदेश को शर्मसार किया है। विशेषरूप से दलित महिलाओं पर दुष्कर्म और अत्याचार की घटनाएं अधिक हुई है।

राजस्थान : 'अपराध' बना चुनावी चौपाल का मुद्दा। पढ़िए, कैसे बढ़ा प्रदेश में अपराध का ग्राफ

आंकड़े चौंकाते हैं कि वर्ष 2022 के शुरूआती 6 महीनों के दौरान ही एससी- एसटी के 4407 केस आ चुके थे, जो पिछले सालों में 6 महीनों के दौरान कभी भी सामने नहीं आए। साल 2014 में जब राज्य में भाजपा सरकार थी, दलितों पर अत्याचार के पौने सात हजार केस दर्ज हुए थे। ये हर साल कम होते- होते साल 2017 तक 4238 तक आए। इसके बाद 2019 में पौने सात हजार केस, 2020 में 7017 और 2021 में इनकी संख्या बढकर 7524 तक जा पहुंची। यह मामला तब तूल पकड़ गया जब कांग्रेस विधायक दिव्या मदेरणा ने ही राजस्थान में सुरक्षा को लेकर सवाल उठाते हुए कह दिया कि मै खुद ही सुरक्षित नहीं हूं, पुलिस सुरक्षा में हमला हो जाता है।

कुल मिलाकर चुनावी चौपालों पर अब यह मुद्दे गर्माते दिखाई दे रहे हैं। अब देखना होगा कि कांग्रेस सरकार इन मुद्दों पर क्या सफाई पेश करती है।

Loading

You May Also Like

More From Author