आज पूरी दुनिया हेल्थ केयर पर मंथन कर रही है और मोटे अनाज की तरफ वापस लौट रही है। आज मोटा अनाज अमीरों की ‘पहचान’ और आवश्यकता बन रहा है, तो आइए आपको बताते हैं कि मोटा अनाज आज के समय में क्यों और कितना जरूरी है और इसके क्या फायदे हैं।
News Chakra. आज से 50 साल पहले लोग भले ही इतने शिक्षित नहीं थे लेकिन खाने की परंपरा यानी फूड कल्चर आज से भी मजबूत था। खाने की मजबूत परंपरा के कारण ही लोग हष्ट- पुष्ट रहते थे और बीमार कम पड़ते थे। बुजुर्ग बताते हैं कि ‘ हम मोटा अनाज खाने वाले लोग थे।’ मोटा अनाज मतलब ज्वार, बाजरा, रागी, मक्का, जौ, चना इत्यादि।
लेकिन इसके बाद साठ के दशक में आई हरित क्रांति ने हम भारतीयों की थाली से इन सब अनाजों को दूर कर दिया और गेहूं और चावल को थाली में सजा दिया। यानी जिस अनाज को हम साढ़े छह हजार साल से भी ज्यादा समय से खा रहे थे। उससे हमने मुंह मोड़ लिया।… धीरे- धीरे गेहूं और चावल संपन्नता के निशानी बन गए और मोटा अनाज गरीबों का भोजन बन कर रह गया।
लेकिन समय चक्र देखिए, आज पूरी दुनिया Health Care पर मंथन कर रही है और उसी मोटे अनाज की तरफ वापस लौट रही है। आज मोटा अनाज अमीरों की ‘पहचान’ और आवश्यकता बन रहा है, तो आइए आपको बताते हैं कि मोटा अनाज आज के समय में क्यों और कितना जरूरी है और इसके क्या फायदे हैं।

आयुष मंत्रालय के एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मोटे अनाज की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि आज हम देखते हैं कि जिस भोजन को हमने छोड़ दिया, उसको दुनिया ने अपनाना शुरू कर दिया। जौ, ज्वार, रागी, कोदो, सामा, बाजरा, सांवा, ऐसे अनेक अनाज कभी हमारे खान-पान का हिस्सा हुआ करते थे। लेकिन यह हमारी थालियों से गायब हो गए। पीएम मोदी के इस बयान के बाद देश में एक बार फिर से मोटे अनाज की चर्चा जोरों पर है।
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ज्वार, बाजरा और रागी की खेती में धान के मुकाबले 30 फीसदी कम पानी की जरूरत होती है। एक किलो धान के उत्पादन में करीब 4 हजार लीटर पानी की खपत होती है, जबकि मोटे अनाजों के उत्पादन नाममात्र के पानी की खपत होती है। मोटे अनाज खराब मिट्टी में भी उग जाते हैं। ये अनाज जल्दी खराब भी नहीं होते।10 से 12 साल बाद भी ये खाने लायक होते हैं। मोटे अनाज की फसल बारिश जलवायु परिवर्तन को भी सह जाती हैं। ये ज्यादा या कम बारिश से प्रभावित नहीं होती।
मोटे अनाज आसानी से पचने वाले फाइबर और कॉम्पलेक्स कार्बोहाइडेट्स का अच्छा स्रोत है। आज वैज्ञानिक और डॉक्टर उन्हें ही पौष्टिक बताकर खाने की सलाह दे रहे हैं। कई रिपोर्ट ने खुलासा किया है कि अगर देश में मोटा अनाज फिर से चलन में आ जाए तो 70 फीसदी लोग कुपोषण से मुक्त हो जाएंगे। इसके अलावा आमजन मोटापा, बदहजमी, डॉयबिटीज, एनीमिया, हार्ट, कोलेस्ट्राल,जैसी 36 बीमारियों से मुक्त हो सकते है। इसमें मौजूद फोलिक एसिड बढ़ती उम्र वाले बच्चों के लिए बेहद उपयोगी है। पहले माताएं शिशुओं को ज्वार और मक्के के आटे का घोल पिलाती थीं।
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यह एंटीकैंसर भी होता है। इसमें कैल्शियम, प्रोटीन, जिंक, मैग्नीज, लोहा, खनिज तत्व, कैलोरी, कैरोटीन, फोलिक ऐसिड, एमिनो एसिड, विटामिन-बी, ई और एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होते हैं। मोटे अनाज डिसलिपिडेमिया और डायबिटीज पीडि़तों के लिए रामबाण है।
हेल्थ केयर : पर्यावरण अनुकूल हैं मोटे अनाज
इन दिनों आप यूरिया की किल्लत के समाचार जरूर पढ़ रहे होंगे। यूरिया का उपयोग इतनी तेजी से बढ़ा है कि दुकानों के बाहर खरीददार किसानों की लम्बी लम्बी कतारें लगने लगी है। क्योंकि गेहूं और धान को उगाने में यूरिया का बहुत प्रयोग होता है। जबकि मोटे अनाज को उगाने में यूरिया का बिलकुल भी प्रयोग नहीं होता। यूरिया जब विघटित होता है, तो नाइट्रस ऑक्साइड, नाइट्रेट, अमोनिया और अन्य तत्वों में बदल जाता है। नाइट्रस ऑक्साइड हवा में घुलकर सांस की गंभीर बीमारियां पैदा करती है और एसिड रेन का कारण भी बनती है।
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सर्दी में घर के बड़े- बुजुर्ग मोटा अनाज खाने की सलाह देते हैं, लेकिन वो ऐसा क्यों कहते हैं, इसे समझना जरूरी है। आयुर्वेद विशेषज्ञ कहते हैं, ठंड के मौसम में शरीर को गर्म रखने में भोजन भी अहम रोल अदा करता है। खाने की तासीर भी शरीर को ठंड से बचाने में मदद करती है। मोटा अनाज की तासीर गर्म होती है।ये शरीर में पहुंचकर गर्माहट देते हैं। सर्दी में मोटा अनाज खाने की सबसे बड़ी वजह यही है. इनमें कई तरह के पोषक तत्व होते हैं जो शरीर को फायदा पहुंचाते हैं।
हेल्थ केयर : बढ़ रहा है ‘ मल्टीग्रेन का मार्केट ”
मोटे अनाज की अब जैसे जैसे डिमांड बढ़ने लगी है। मोटे अनाज का मिश्रण यानि मल्टी ग्रेन मार्केट तेजी से बढ़ने लगा है। समय की आवश्यक्ता को ध्यान में रखकर कई कंपनियां तो बच्चों के खाने लायक प्रोडक्ट बना रही है और फाइबर व प्रोटीन का प्रचार कर चांदी कूट रही है। मोटे अनाज से हेल्थ ड्रिंक, चिल्ला, इडली, टोस्ट, ब्रेड, बिस्किट, बेबी और हेल्दी फूड बड़ी मात्रा में बनाए जा रहे हैं।
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