रामस्वरूप कसाना

रामस्वरूप कसाना की हुंकार, व्यवस्था सुधारो नहीं तो होगा उग्र आंदोलन! 23 दिन से जारी है धरना

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  • 23 दिन से अल्ट्राटेक के खिलाफ धरने पर ग्रामीण, अब फैक्ट्री घेराव की दी चेतावनी, जानिए क्या है मामला!
  • शुक्रवार को फैक्ट्री के 2 नम्बर गेट पर दिया सैकड़ों ग्रामीणों ने धरना,
  • अल्ट्राटेक सीमेंट प्रबंधन के वादा खिलाफी व ब्लास्टिंग को लेकर दिया जा रहा धरना,
  • क्षेत्र के जनप्रतिनिधियो ने दिया धरने को समर्थन,
  • पूर्व संसदीय सचिव रामस्वरुप कसाना, जदयू के रामनिवास यादव, राधेश्याम शुक्लावास व नितेन्द्र मानव धरने में हुए शामिल

न्यूज चक्र, कोटपूतली। पूर्व विधायक रामस्वरूप कसाना ने शुक्रवार को खुली चेतावनी देते हुए अल्ट्राटेक सीमेंट प्रबंधन व स्थानीय प्रशासन को आड़े हाथ लिया है। कसाना ने संबोधित करते हुए कहा कि ‘फैक्ट्री प्रबंधन ने अपनी व्यवस्था में सुधार नहीं किया तो फैक्ट्री के तालाबंदी कर घेराव करने की योजना बनाई जाएगी’।

फैक्ट्री प्रबंधन की वादाखिलाफी व ब्लास्टिंग के विरोध में ग्रामीणों ने पिछले 23 दिन से मोर्चा खोल रखा है। शुक्रवार को फैक्ट्री के दो नंबर गेट पर सैकड़ों ग्रामीणों ने धरना दिया। धरने को पूर्व विधायक रामस्वरूप कसाना, जदयू के रामनिवास यादव, समाजसेवी राधेश्याम शुक्लाबास व नितेंद्र मानव सहित अनेक जनप्रतिनिधियों ने समर्थन देकर संबोधित किया और फैक्टरी प्रबंधन की वादा खिलाफी को लेकर जमकर कोसा।

रामस्वरूप कसाना की हुंकार
धरने पर बैठे ग्रामीण

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दरअसल मोहनपुरा व जोधपुरा दोनों गाँव एक साथ आमने- सामने है। जिसमें मोहनपुरा गांव रेवेन्यू गांव है,उसी का हिस्सा जोधपुरा गांव है। जिसमें मोहनपुरा गांव का तो पुनर्वास कर, मुआवजा देकर स्थापित कर दिया गया लेकिन जोधपुरा गांव के ग्रामीण आज अल्ट्राटेक सीमेंट फैक्ट्री के विरुद्ध धरने पर बैठे हुए हैं। धरना पिछले 23 दिन से लगातार जारी है। ग्रामीणों का कहना है कि ‘ फैक्ट्री प्रबंधन हमें खून के आंसू रुला रहा है।’

ग्रामीणों की ये है पीड़ा

  • केवल 200 मीटर की दूरी पर की जा रही है अवैध ब्लास्टिंग,
  • ब्लास्टिंग के कारण सैकड़ों मकानों में आई दरारें, छतों की पट्टियां तक टूटी,
  • गांव की राजकीय स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे व स्टाफ हमेशा रहता है डर के साये में,
  • गांव में पानी, बिजली, सड़क, चिकित्सा व शिक्षा जैसी कोई नही है सुविधा,
  • भारी प्रदूषण से लोग अस्थमा एलर्जी व सिलोकोसिस जैसी बीमारी से हो रहे है ग्रसित,
  • फैक्ट्री प्रबंधन किसी से भी बात करने से करता है मना,
  • तानाशाह रवैया अपनाया फैक्ट्री प्रबंधन ने
रामस्वरूप कसाना
गांव के समीप की जा रही ब्लॉस्टिग

अब पढ़िए खबर विस्तार से…

वर्ष 2006 में बिरला ग्रासिम सीमेंट फैक्ट्री का कोटपूतली के मोहनपुरा – जोधपुरा गांव में प्लांट स्थापित हुआ था। उस दौरान किसानों व ग्रामीणों ने प्लांट लगाने के लिये काफी विरोध प्रदर्शन किया था, लेकिन फैक्ट्री प्रबंधन ने किसानों व ग्रामीणों को उस समय सपने दिखाये। कहा गया आपको व आपकी आने वाली पीढ़ी को आपके ही गाँव मे रोजगार के साथ- साथ सभी मूलभूत सुविधाये मिलेंगी।

लेकिन समय के साथ सभी वादे हवा हो गये। जिसके बाद अब ग्रामीणों का जीना दूभर हो गया। गांव जोधपुरा की अर्चना यादव का कहना है, फैक्ट्री प्रबंधन हमें पल- पल मार रहा है। उससे अच्छा है ‘ एक बार ब्लास्ट करके एक साथ मार दे।’ रोजाना तेज धमाकों से हमारे मकान हिलते है, जिससे हमेशा डर के साये में जी रहे हैं। हमारे नये मकानों में भी दरार आ गई। अब हमारी सुनने वाला कोई नही है।

वहीं अनिता देवी का कहना है कि ग्रामीणों के सामने अब ये संकट आकर खड़ा हो गया ‘आखिर अब जाये तो कहा जाये’, जिंदगी बिल्कुल नीरस सी हो गई है। तेज धमाकों से एक मकान की पट्टियां टूटने से एक बच्चे की हालत बिगड़ी गई, जिसे बड़ी मुश्किल से बचाया गया। बच्चा मरता- मरता बचा है। बच्चे की माँ ने बताया ‘आज हम नरक भरी जिंदगी जीने को मजबूर हो गये है। जबकि गुहार भी सभी जगह लगा चुके है. प्रशासन से लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधियों तक, लेकिन किसी ने भी अल्ट्राटेक फैक्ट्री प्रबंधन के खिलाफ आवाज उठाने की जहमत तक नहीं उठाई, आखिर हम जाये तो कहा जाये।

रामस्वरूप कसाना
गांव के मकानों में दरार की तस्वीर
कार्मिक व अधिकारियों के लिये वीआईपी सुविधाएं

ग्रामीणों का आरोप है कि अल्ट्राटेक में काम करने वाले कार्मिक व अधिकारियों के लिये जोधपुरा गांव के बिल्कुल सटा के कॉलोनी बनी हुई है। उस कॉलोनी के अंदर सभी मूलभूत सुविधाओं के साथ ‘ सभी वीआईपी सुविधा कर रखी है।’ कॉलोनी के अंदर चिकित्सालय, स्कूल, बिजली, पानी, सड़क व मंदिर जैसी सुविधाएं कर रखी हैं। लेकिन ग्रामीणों को अंदर तक नही जाने दिया जाता है। कॉलोनी के सुरक्षाकर्मियों के द्वारा रोक दिया जाता है।

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ग्रामीण रामकरण व बेबी का कहना है कि अल्ट्राटेक सीमेंट प्रबंधन ने जगह- जगह होर्डिंग व बैनर लगा कर ग्रासिम जन सेवा ट्रस्ट का प्रचार- प्रसार भी कर रखा है। जिससे लगता है फैक्ट्री प्रबंधन बहुत बड़ी सेवा कर रहा हो। जबकि सीमेंट प्लांट के पास एक ही राजकीय स्कूल है। जब उसकी सेवा ट्रस्ट नहीं कर पा रहा है, तो और अन्य जगहों की हालत तो क्या होगी। बल्कि ब्लास्टिंग के कारण स्कूल की छत में दरारें आ गई हैं, दीवारें फट गई और स्कूल मैदान में भारी भरकम पत्थर बरसते है।

प्रधानाचार्य संगीता कुमारी का कहना है कि ‘ स्कूल के बच्चे व स्टाफ हमेशा डर के साये में रहते है।’ कई बार तो बच्चे डर के मारे कक्षा- कक्षो से बाहर आकर बैठ जाते है। बहुत जोर से कंपन होता है।

स्कूल प्रबंधन ने इसके लिये कई बार अल्ट्राटेक प्रबंधन से स्कूल के बारे में शिकायत भी की, लेकिन कोई सुनवाई तक नहीं हुई। जबकी अल्ट्राट्रेक प्रबंधन हर साल स्वंत्रता व गणतंत्र दिवस समारोह के अवसर पर प्रशासन से सांठ- गांठ कर ‘ क्षेत्र का सबसे बड़ा भामाशाह’ अपने आप को घोषित करवाता रहा है, लेकिन हकीकत में कुछ भी नही, केवल कागजो में दिखावे का ढोंग रचते नजर आ रहे है।

गांव के मकानों में दरार की तस्वीर
लोग घर छोड़कर जाने को होने लगे मजबूर, मकानों पर लटकने लगे ताले

ग्रामीणों का कहना है कि थक हार कर आखिर ग्रामीणों ने धरने का सहारा लिया है। जिसके लिये भी उपखण्ड अधिकारी से परमिशन लेनी पड़ी। अब ग्रामीणों का कहना है, या तो हमारा पुनर्वास किया जाये या फिर ब्लास्टिंग बंद कर सभी मूलभूत सुविधाएं दी जाए। इससे पहले ग्रामीण अब धरने से उठने को तैयार नही है।

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धरने पर बैठी मेवा देवी का कहना है हमारा प्रदूषण से सांस लेना भी दूभर हो गया है। रात- रात भर नींद तक नहीं आती है। धमाकों से हमारे मकानों के खिड़की जंगले अलग हो गए। वही धरने पर बैठे ग्रामीण मदन लाल सुरेलिया ने बताया पहले जो ब्लास्टिंग की जाती थी वह दो किलोमीटर की दूरी पर होती थी, लेकिन अब केवल ग्रामीण आबादी से सौ मीटर की दूरी पर की जा रही है। इसके बारे में अल्ट्राटेक प्रबंधन से बात की गई तो ग्रामीणों को ही धमकी देकर बाहर कर दिया गया।

वही ग्रामीण राकेश यादव ने बताया जब फैक्ट्री लगी तब कहा गया था, आपके नजदीक ब्लास्टिंग नही की जायेगी लेकिन अब ये अपने वादे से मुकर गये. आज हम सभी अपने मकान छोड़ने के लिये मजबूर हो गये, लेकिन आखिर हम अब जाए तो कहा जाए।

जब मीडिया ने अल्ट्राटेक प्रबंधन से बात करनी चाही तो कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से मना कर दिया। वहीं कोटपूतली SDM ऋषव मंडल का मामले को लेकर कहना है कि ‘ एक कमेटी का गठन कर दिया है, जिसकी जांच में हम लगे हुये है। वही मैं खुद भी सभी विभाग के अधिकारियों के साथ मौके पर जाकर आया हूं, मामले की जानकारी ली जा रही है। जो भी फैक्ट्स सामने आएंगे उस पर फैक्ट्री प्रबंधन के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।’

लेकिन बड़ी बात है की करीब 15 साल से फैक्ट्री प्रबंधन वादा खिलाफी कर तानासाह रवैया अपनाये हुये है। क्या वो अभी तक भी प्रशासन को नजर नहीं आया। क्या अब लगता है प्रशासन को लीगल फैक्ट्स नजर आएंगे ! क्या प्रशासन इन परेशान ग्रामीणों की पुकार सुनकर फैक्ट्री प्रबंधन के खिलाफ उचित कार्रवाई कर पायेगा या फिर हमेशा की तरह ग्रामीणों की आवाज को दबा दिया जायेगा।
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